नौतन सिवान। नौतन प्रखंड के हथौजी में विभागीय शिथिलता के कारण आँगनवाड़ी सेविका की बहाली दो साल बाद भी संपन्न नहीं हो सका है। बता दें कि अंगौता पंचायत के वार्ड संख्या 10 में हथौजी गाँव में आँगनवाड़ी सेविका की बहाली के लिए जून 2019 में आवेदन लिया गया, जिसमें संजय यादव की पत्नी आशा यादव तथा अजीत कुमार तिवारी की पत्नी कु. धर्मशीला दूबे ने आवेदन किया।  26 जुलाई 2019 को आम-सभा में पर्यवेक्षिका ने बहाली की प्रक्रिया के अंतर्गत घोषणा किया कि अंक पत्र द्वारा बनाई गई मेधा सूची और वर्ग बहुलता के आधार पर आशा यादव की वरीयता बन रही है, जबकि दूसरी आवेदिका कुमारी धर्मशिला दुबे वर्ग बहुलता आता तथा अंक पत्र दोनों तरह से ही दूसरे नंबर पर हैं। इस घोषणा के बाद से ही दूसरी आवेदिका की ओर से हंगामा किया जाने लगा, जिसके बाद आमसभा को स्थगित कर दिया गया। पुनः 19 दिसंबर 2019 को दूसरी आमसभा हुई, जिसमें फिर से आशा यादव की वरीयता की घोषणा होते ही हंगामा होने लगा, जिसके बाद आम-सभा को फिर से स्थगित करना पड़ा। इसके बाद बाल विकास परियोजना पदाधिकारी की अध्यक्षता में त्रिस्तरीय जाँच कमिटी बनाई गई, जिसमें गुठनी की महिला पर्यवेक्षिका किरण कुमारी तथा मैरवाँ की महिला पर्यवेक्षिका रौशन आरा शामिल थीं। उनके द्वारा वार्ड सदस्य तथा वार्ड पंच की उपस्थिति में 2016 के पंचायत चुनाव के वोटर लिस्ट के आधार पर पुनः घर-घर जाकर मैपिंग किया गया। मैपिंग की रिपोर्ट 13 मार्च 2020 को सौंपी गई, जिसके अनुसार पीछड़ा वर्ग में 530, सामान्य वर्ग में 398, अत्यंत पिछड़ा में 339, अनुसूचित जनजाति में 198 तथा अनुसूचित जाति में 81 लोगों की संख्या सामने आई। इस मैपिंग रिपोर्ट के साथ 9 मार्च 2021 को अपर अनुमंडल पदाधिकारी सिवान की अध्यक्षता में विशेष आमसभा का आयोजन किया गया। इसके आधार पर इस बार भी पहली आवेदिका आशा यादव वर्ग बहुलता में आगे रही। लेकिन इस बार दूसरे अभ्यर्थी द्वारा यह कहते हुए हंगामा शुरू किया गया कि सामान्य वर्ग के 37 लोगों का नाम नहीं जोड़ा गया है। इसी तरह हंगामे के बीच विभागीय शिथिलता के कारण दो साल में भी चयन प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है। इस मामले में त्रिस्तरीय जाँच कमिटी द्वारा सौंपी गई मैपिंग रिपोर्ट की जाँच बाल विकास परियोजना पदाधिकारी द्वारा किया जा रहा है।

 गौरतलब है कि जो अभ्यर्थी तीनों आम-सभाओं वर्ग बहुलता से बाहर रहीं उन्होंने 37 लोगों की लिस्ट बनाकर यह आरोप लगाया कि उन 37 लोगों की गणना नहीं की गई है, जबकि त्रिस्तरीय जाँच कमिटी की रिपोर्ट में उन 37 लोगों में से 13 लोगों का नाम शामिल है और उनकी गणना की गई है। बाकी लोगों के बारे में बताया गया कि वे लोग लगभग चार दसकों से यहाँ नहीं रह रहे हैं। उनका नाम दूसरे जगह के मतदाता सूची में दर्ज है। अब देखना यह है कि क्या इन दो सालों में भी चयन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है या अभी ऐसे ही समय खिंचता रहेगा।