मशरक (सारण) भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकलांगों को दिव्य पुरुष की संज्ञा दी है लेकिन सारण जिले के मशरक प्रखंड के बंगरा पंचायत के बंगरा गढ़ गांव निवासी 35 वर्षीय विकलांग हरेंद्र महतो पिता स्व देवराज महतो ऐसे हैं जिनके पास सरकार की तरफ से विकलांग पेंशन छोड़कर कोई सुविधाएं तक नहीं हैं। यहां तक कि चलने में मदद करने वाली कोई ट्राई साइकिल सरकार की तरफ से मुहैया नहीं कराई गई है। वे पिछले 13 वर्षों से खाट पर पड़े हुए हैं।वे दोनों पैरों से विकलांग हैं और अपने हाथों चलने को मजबूर हैं। पैरों से पूरी तरह से विकलांग हरेंद्र महतो ने बताया कि वे ऐसे विकलांग हैं, जिनके पास प्रमाणित करने के लिए सरकार ने विकलांग सर्टिफिकेट तो दे दिया।वे सरकार के कागजों में वे विकलांग हैं पर विडंबना तो देखिए एक साइकिल के लिए वे नेताओं और सरकारी बाबुओं के दफ्तरों में चक्कर काट चुके हैं, लेकिन उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हुई है। वे कहते हैं कि जब चुनाव नजदीक आता है तो गांव में नेता वोट मांगने आते हैं तो उस समय लगता है कि वे जो बोल रहें हैं वो जल्द ही उनको साइकिल उपलब्ध करा देंगे पर चुनाव बीतते ही समस्या ठंडे बस्ते में चली जाती है। उन्होंने बताया कि वे परिवार का भरण-पोषण करने को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में चले गए वही पर सड़क दुघर्टना में वे शरीर में कमर के नीचे पूरी तरह विकलांग हो गए।अब उनकी सारी जिंदगी उनके पत्नी के हाथों में है वही उनको एक 13 वर्ष की बेटी हैं जिसकी आगे की जिंदगी के लिए भी वे परेशान हैं। साइकिल के लिए वे दौड़ लगा ही रहें कि कोरोना वैक्सीन की पहली डोज के लिए भी वे परेशान हैं कुछ दिनों पहले ही गांव के एक युवक ने बताया कि जिलाधिकारी सारण ने विकलांग और असहाय वृद्ध को घरों पर ही पहुच वैक्सीन देने का आदेश जारी किया है पर उनको अभी तक वैक्सीन नही पड़ी वे किसी तरह जिंदगी काट रहे हैं।
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