सोनपुर---धरती पर रहने वाले हर व्यक्ति को श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करना चाहिए । इसके श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं यह कहना है भाई श्री गुप्तेश्वर जी महाराज कथा वाचक का जिन्होंने परम पूज्य गुरुदेव डॉक्टर श्याम सुंदर पाराशर जी महाराज की कृपा पात्र एवं आशीर्वाद से बहुत कम समय में कथा वाचन कर देश विदेशों में जो ख्याति प्राप्त की ऐसे सौभाग्यशाली बहुत कम कथावाचक हुए हैं ।
भाई गुप्तेश्वर जी महाराज कहते हैं कि विश्व साहित्य में श्रीमद् भागवत गीता का अद्वितीय स्थान है । यहां साक्षात भगवान के श्री मुख से निः सृत परम रहस्यमयी दिव्य वाणी है । इसमें स्वयं भगवान अर्जुन को निमित बनाकर मनुष्य मात्र के कल्याण के लिए उपदेश दिया है । महाराज जी कहते हैं कि प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि मैं सदा जीता रहूं, कभी मरू नहीं ,मैं सब कुछ जान जाऊं, कभी अज्ञानी ना रहूं ,मैं सदा सुखी रहु , कभी दुखी ना रहूं परंतु मनुष्य की यह चाहना ,अपने बल से अथवा संसार से कभी पूरी नहीं हो सकती । क्योंकि मनुष्य जो चाहता है वह संसार के पास है ही नहीं ।
कथावाचक का यह भी कहना है कि श्रीमद्भागवत गीता का अर्थ बहुत ही गंभीर है । इसका पठन-पाठन मनन ,चिंतन और विचार करने से बड़े ही विचित्र और नए नए भाव स्फुरित होते रहते हैं । जिससे मन,बुद्धि चकित होकर तृप्त हो जाते हैं।
बुधवार को हरिहरनाथ मन्दिर के नवनिर्मित सत्संग भवन में भागवत महात्मय पर कथा सुनाते हुए भाई श्री गुप्तेश्वर जी महाराज ने सुंदर सुललित सारगभरित एवं भाव भरी पूर्ण वाक्यों में कहा कि ब्रहम में आनंद न हीं ,आनंद ही ब्रहम है । आत्मा शरीर से निकल जाए तो सारी इंद्रियां काम करना बंद कर देती है । शरीर किसी का नहीं है । इसमें से आत्मा निकलने के बाद मां, पिता, पत्नी ,भाई तक कहने लगता है जल्दी श्मशान घाट ले जाओ ।
कथा में प्रेम पर चर्चा करते हुए कहा कि आज प्रेम हुआ ,कल वासी हो जाता है । आनंद का सारभूत सत्य है प्रेम । वेद कहता है कोई आपका अपना नहीं है । प्रेम शांति देता है । व्यक्तित्व के संवंध में बताया कि असली अंत करण कैसा है वहीं व्यक्तित्व है ।
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