17 सितंबर को नहाय खाय,18 सितंबर उदयातिथि अष्टमी को व्रत और 19 सितंबर को पारण होगा सोनपुर- -विश्व विख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर के पवित्र भूमि पर स्थित श्री गजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम् नौलखा मन्दिर के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी ने शुक्रवार को कहा कि जितिया का व्रत बहुत हीं कठिन होता है। इसमें छठ की तरह पहले दिन नहाए खाए, दूसरे दिन जितिया निर्जला व्रत और तीसरे दिन पारण किया जाता है।श्री स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी ने कहा कि जीवित्पुत्रिका व्रत का संबंध महाभारत काल से है।दरअसल महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा अपने पिता द्रोणाचार्य की मौत से बहुत क्रोधित थे और हर हाल में पांडवों से बदला लेना चाहते थे। इसलिए वह पांडवों के शिविर में घुस गए और उसमें सो रहे पांच लोगों को पांडव समझकर मार डाला। वे सभी द्रोपदी की संताने थे। इसपर अर्जुन ने अश्वत्थामा की मणि छीन लिया और क्रोध में आकर अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को मार डाला। भगवान श्री कृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देकर उसके गर्भ में पल रहे बच्चें को पुन जीवित कर दिया। भगवान कृष्ण की कृपा से जीवित होने वाले इस बच्चे को जीवित्पुत्रिका नाम दिया गया। इसके बाद से संतान की लंबी उम्र के लिए हर साल जितिया का व्रत रखा जाता है। श्री स्वामी जी ने कहा जिउतिया के सम्बन्ध में एक और कथा मिलती है उस कथा के अनुसार गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन ने नाग वंश की रक्षा के लिए स्वयं को पक्षीराज गरुड़ का भोजन बनने के लिए सहर्ष तैयार हो गए थे। उन्होंने अपने साहस और परोपकार से शंखचूड़ नामक नाग का जीवन बचाया था। उनके इस कार्य से पक्षीराज गरुड़ बहुत प्रसन्न हुए थे और नागों को अपना भोजन न बनाने का वचन दिया था।पक्षीराज गरुड़ ने जीमूतवाहन को भी जीवनदान दिया था। इस तरह से जीमूतवाहन ने नाग वंश की रक्षा की थी। इस घटना के बाद से ही हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाने लगा।धार्मिक मान्यताओं ​के अनुसार, यह व्रत करने से पुत्र दीर्घायु, सुखी और निरोग रहते हैं। इस दिन गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन की पूजा करने का विधान है। श्री स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी ने कहा इस बार 17 सितंबर को नहाय खाय,18 सितंबर उदयातिथि अष्टमी को व्रत और 19 सितंबर को पारण होगा। श्री स्वामी जी ने कहा कि जो महिला अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं उसकी संतान को कभी भी दुख नहीं उठाना पड़ता है और उनके घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है। मान्यता है कि जो भी महिला इस व्रत की कथा सुनती है उसे कभी भी अपनी संतान से वियोग का सामना नहीं करना पड़ता है। उधर ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर तिवारी ने समाजसेवी लाल बाबू पटेल द्वारा व्रत के निर्णयानुसार दिन पूछे जाने पर बताया कि व्रत में जीमूतवाहन राजा की पूजा अर्चना करने का विधान है इस लिए उदयाष्टमी व्रत हीं करने हैं। महालक्ष्मी पूजन में निशिथकाल के विचार आते हैं।