
नौतन।
नौतन प्रखंड क्षेत्र में गुरुवार को गोवर्द्धन पूजा धूमधाम से संपन्न हो गया। बता दें कि गोवर्द्धन पूजा दीपावली के अगले दिन गोवर्द्धन बनाकर दूसरे दिन पूजन किया जाता है। लेकिन इस वर्ष दीपावली के अगले दिन सूर्यग्रहण को लेकर दूसरे दिन गोवर्द्धन बनाया गया तथा इसके अगले दिन पूजन किया गया। गोवर्धन पूजा के सम्बन्ध में एक लोकगाथा प्रचलित है, कि देवराज इन्द्र के अभिमान को चूर करने हेतु भगवान श्री कृष्ण ने एक लीला रची। इस लीला के दौरान उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे हैं। श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से मईया यशोदा से प्रश्न किया " मईया ये आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं" कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोली लल्ला हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं। मैया के ऐसा कहने पर श्री कृष्ण बोले मैया हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? मैया ने कहा वह वर्षा करते हैं, जिससे अन्न की उपज होती है। उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है। भगवान श्री कृष्ण बोले हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं। अत: ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए।
लीलाधारी की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के स्थान पर गोवर्घन पर्वत की पूजा की। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा आरम्भ कर दी। प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगे, कि सब इनका कहा मानने से हुआ है। तब मुरलीधर ने मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछडे़ समेत शरण लेने के लिए बुलाया। तब इन्द्र को लगा कि उनका सामना करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता। उन्होंने ब्रह्मा जी को वृतान्त सुनाया। ब्रह्मा जी ने इन्द्र से कहा कि आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं, वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं । यह सुनकर इन्द्र अत्यन्त लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका इसलिए भूल कर बैठा। आप मेरी भूल क्षमा करें। इसके पश्चात ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी। इसी परंपरा के अनुसार प्रखंड क्षेत्र के सिसवाँ, जगदीशपुर, बसदेवा, तखली, बिशुनपुरा, नौतन सहित सभी गाँवों में गोवर्द्धन पूजा की गई।
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