
लोगवा देत काहे गारी बता द बबुआ-- पद्मश्री मालनी अवस्थी
सोनपुर--- कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार पटना की ओर से आयोजित हरिहर क्षेत्र महोत्सव 2022 जो 18 नवंबर से 20 नवंबर तक चलेगा । इसके प्रथम दिन पदम श्री मालिनी अवस्थी लोक गायिका ने मुख्य मंच से अपनी प्रस्तुति इस बारीकी से की कि हर एक दर्शक खुशी में झूमने और ताली बजा कर वातावरण को गुलजार बना दिया । मालिनी अवस्थी कुछ देर दर्शक दीर्घा में बैठी अधिकारियों की पत्नी को भी मंच पर ले जाकर नृत्य और गीत प्रस्तुत करने को बाध्य कर दी ।
सच तो यह है कि हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला ग्राउंड में पर्यटन विभाग का मुख्य मंच और पंडाल शुक्रवार की शाम भारत की जानी-मानी लोक गायिका मालिनी अवस्थी के नाम रहा। उन्होंने मंच से लोकगीत, भक्ति गीत, ठुमरी, गजल, पूर्वी आदि की तान छोड़कर उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया। मंच से लेकर सड़क तक दर्शक एवं स्रोताओं से खचाखच भरा था । शुरू से अंत तक दर्शक झूमते और तालियां बजाते रहे। ऐसे माहौल में मालिनी अवस्थी और उत्साहित होकर अपनी गायन की प्रस्तुति करती रही ।
कार्यक्रम की शुरुआत धर्मगीत से की गयीं फिर रेलिया बैरन पिया को लिये जाए रे तत्पश्चात सैया मिले लड़कइया मैं क्या करूं । गीत ने माहौल को खुशनुमा बना दिया । अपने गाने के क्रम में मालिनी अवस्थी ने मंच से घोषणा की कि मैं बाबा हरिहर नाथ सोनपुर के नगरी में पहले 3 बार आकर अपनी प्रस्तुति कर चुकी हूं। यह मंच बेजोर है । बेजोर श्रोता और दर्शक बनाता है ।
गउना -गउना सुनत रहली , गउनो ना भईल नहीरे में सुनली, ससुरा में पियवा वा नादान आगे माई नहीरे में सुनली । भौजी हमार नहीं मनली कहांनवा गीत पर स्रोता तालियों की मूसलाधार बारिश कर दी । 5 वर्ष से गाना सीखने की चर्चा करते हुए श्रीमती अवस्थी ने बोली कि बिहार और उत्तर प्रदेश की त्रासदी है कि यहां के लोग रोज- रोटी की तलाश में चंडीगढ़, कोलकाता ,मुंबई आदि दूर जाते हैं । उनकी पत्नी सक्ष्य कैसे करती होगी - जउना शहरवा में सैया मोर नौकरी ....के गीत पर श्रोता भाव विभोर हो गए ।
मंच में कई बार उतरकर मालिनी अवस्थी ने दर्शकों के करीब जाकर उनके दिल को जीत ली । एक बूढ़े बाबा साधु के हाथ से डमरू लेकर डमरू बजाए । फिर अबधवासी -मिथिला वासी को याद करते हुए श्रीमती मालिनी ने अपने हाथ में माइक थामे गाती है " राम जी से पूछे जनकपुर के सखिया, बताद बबुआ, लोगवा देत काहे गारी बता द बबुआ " फिर गाती है राजा दशरथ कईसन ढेर होशियारी , लोगवा देत काहे गाली बता द बबुआ " इस गीत पर हर कोई हर्षित होकर तालियां बजाई । ये बुढ़वा देत काहे गाली बताद बबुआ" जैसे गीत की झाड़ी लग गयी ।
एक दादरा भी प्रस्तुत किया --" मारे करेजवा में तीर बलमु घर ना मोर ननदी । मालिनी अवस्थी ने एक से बढ़कर एक गीत प्रस्तुत कर दर्शकों एवं श्रोताओं को दिलजीत ली । सर्वत्र से वाह- वाह वनस मोर वन्स मोर का फरमाइश आते रहा ।
अंत में प्रशासन की ओर से मालिनी अवस्थी को प्रतीक चिन्ह एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया । मौके पर कई पदाधिकारी सपरिवार कार्यक्रम देखें ।
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