सोनपुर मेले के बकरी बाजार में अच्छे नस्ल की बकरी की बढ़ी मांग ,
बकरी 400 से लेकर ₹600 किलो तक मिल रही मेले में बकरी
सोनपुर---विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में बकरी खरीदने के लिए खरीदारी की काफी भीड़ बढ़ रही है । इसका मुख्य कारण इस मेले में विभिन्न नस्ल की बकरियां मिलती है जिसके लेकर

राज्य के कोने-कोने से आने वाले बकरी पालन उसे खरीदते हैं। इस बात की जानकारी देते हुए सहायक रोग अनुसंधान पदाधिकारी पशु पालन विभाग के डॉ दीपक कुमार ने बताया कि मेले में अच्छी नस्ल की बकरियां जमुना परी है । इसे तोता परी भी कहते हैं । बकरियां विभिन्न नशल के होती है जिसमे बिटल, बरबरी ,ब्लैक बंगाल, सिरोही ,जमुनापारी ,देशी बकरियां के अलावा अन्य नशल के बकरियां होती है । सोनपुर मेले में सबसे ज्यादा जमुनापरी बकरी देखने को मिल रही है जो प्रतिदिन 2 से 3 किलो तक दूध करती है। यह बकरिया मेले में बेचने के लिए आई हुई है । छोटे -छोटे किसान या गरीब तब के प्रायः बकरी पालन करते हैं । पशुधन में बकरी एक ऐसा जानवर पशु है जो कि मुसीबतों के हालत में जीवन यापन करके मुनाफा कमाता है । बकरियां से पैसे एवं उसके मांस भी कीमती में बिकती है । बकरी को बेचकर विपरीत समस्या का भी समाधान बकरी पालन करने वाले कराती है। बकरी पालन में सरकार द्वारा भी अनुदान मिलती है । यह योजना 38 जिलों मे चल रही है । बकरी के दूध को हर उम्र के लोग बच्चे बूढ़े बीमार व्यक्ति के लिए ज्यादा से ज्यादा समुचित है। इसके दूध में उपलब्ध प्रोटीन में लैक्ट्रोपेरॉक्साइसें नामक तत्व पाया जाता है जो कि बहुत सारे बीमारियों में मनुष्य का बचाव कर सकता है । बकरी का दूध में उपलब्ध इलेक्ट्रोंस शरीर में शक्ति प्रदान करता है । उन्होंने बताया कि बकरी पालन करने के दौरान कई तरह के सावधानी बरतने की जरूरत है जिसमें बकरियों में सबसे ज्यादा जन्म के 15 दिन से एक महीना के अंदर निमोनिया दस्त ,काकसीडियोसिस के अलावा अनेक बीमारियां होती है जो जानलेवा होती है इसे बच्चे में ही बकरिया की मौत हो जाती है । बकरी पालन करने वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है । सोनपुर मेले में दुधारू बकरी के दाम लगातार बढ़ रही है मेले के उद्घाटन के पहले ₹400 में बकरी बिक्री रही थी जो अब ₹600 किलो के भाव से बकरिया बिक रही है। इसका मुख्य कारण है कई जिले में डेंगू का प्रकोप बढ़ गई है जिसमें बकरी का दूध का काफी माँग है और बकरी के दूध 600 से ₹800 किलो के भाव से बिक रही है जिसके लिए ज्यादा दूध देने वाली अच्छी नस्ल के बकरी की तलाश में लोग सोनपुर मेला आ रहे हैं यहां भी अच्छे नस्ल की बकरी नहीं मिलने से लोग परेशान है। मेले में भी दुधारू बकरी की संख्या काफी कम होने के कारण बकरी के दामों में बकरी व्यवसाय करने वाले लोग बकरी के दामों में बढ़ोतरी कर दी है। उत्तर प्रदेश के रहने वाले सोनपुर मेले में राजधानी नस्ल की बकरी बेचने आए कई बकरी विक्रेता ने कहा कि दुधारू बकरी नहीं मिल रही है वही अच्छी नस्ल के बकरी नहीं मिलने से बकरी पालन करने वाले लोगों में निराशा हाथ लग रही है । डॉ दीपक कुमार ने बताया कि डेंगू के बीमारी में बकरी के दूध काफी लाभप्रद होती है । इसके सेवन करने से डेंगू के जो विष है उस बिष को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाता है ।
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