मांझी। कृषि विज्ञान केंद्र मांझी के सौजन्य से प्रखंड के दुर्गापुर गांव में प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय
ा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र के उद्यान विशेषज्ञ डॉ0 जितेन्द्र चन्द्र चन्दोला ने किसानों से कहा कि इस समय प्राकृतिक खेती की बहुत आवश्यकता है क्योंकि कृषियोग्य भूमि पर रासायनिक कीटनाशकों व खादों का प्रयोग तथा भूमि को प्रतिवर्ष पलटने से भूमि की उर्वरा शक्ति पूरी तरह समाप्त हो चली है। हानिकारक कीटनाशकों के उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ कृषि की लागत भी बढ़ रही है। रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती के साथ ब्यक्ति के स्वास्थ्य में भी गिरावट आई है। किसानों की पैदावार का आधा हिस्सा उनके उर्वरक और कीटनाशक में ही चला जाता है। उन्होंने कहा कि यदि किसान खेती से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो उन्हें प्राकृतिक खेती की तरफ अग्रसर होना चाहिए। रासायनिक खाद और कीटनाशक के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा क्षमता काफी कम हो गई है। जिससे मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ गया है। मिट्टी की उर्वरक क्षमता को देखते हुए प्राकृतिक खेती जरूरी हो गया है। बताते चलें कि दुर्गापुर में सब्जियों एवं फलो की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहां किसान बहु फसल चक्र अपनाकर खेती करते हैं। इसलिए यहां प्राकृतिक खेती की अधिक संभावना है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र इस प्रखंड में प्राकृतिक खेती हेतु सघन जागरूकता अभियान चला रहा है। जिसके तहत किसानों को प्राकृतिक खेती की तरफ जागरूक करते हुए प्राकृतिक खेती की महत्ता व आवश्यकता एवं लाभ पर विस्तृत जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण में 51 किसानो ने भाग लिया। मौके पर ओमप्रकाश सिंह वेद प्रकाश सिंह नागेंद्र सिंह जगमोहन चौहान ओमप्रकाश शर्मा जगदीश चौधरी कन्हैया राम सतन साह बिगन यादव समेत कई अन्य किसान मौजूद थे।